भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: कारण, प्रभाव और निवेशकों के लिए रणनीत

भारतीय शेयर बाजार ने बीते सप्ताह एक बड़ी गिरावट का सामना किया, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी गिरावट दर्ज की गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 2,112.96 अंक या 2.80 प्रतिशत तक टूट गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 671.2 अंक या 2.94 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।

फरवरी 2025 में अब तक सेंसेक्स 4,302.47 अंक या 5.55 प्रतिशत गिर चुका है, जबकि निफ्टी 1,383.7 अंक या 5.88 प्रतिशत तक लुढ़क गया है। इस भारी गिरावट के कारण कई दिग्गज कंपनियों को बड़ा नुकसान हुआ है, जिससे निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है।

बाजार में गिरावट से प्रभावित कंपनियां

शेयर बाजार की इस गिरावट का असर भारत की शीर्ष 10 कंपनियों में से 8 पर पड़ा, जिनके संयुक्त बाजार पूंजीकरण में कुल 3,09,244.57 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई।

सबसे अधिक नुकसान में रहने वाली कंपनियां:

1. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) –

इस आईटी दिग्गज कंपनी का बाजार मूल्यांकन 1,09,211.97 करोड़ रुपये घटकर 12,60,505.51 करोड़ रुपये रह गया।

इसके चलते टीसीएस, जो पहले बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दूसरे स्थान पर थी, अब तीसरे स्थान पर खिसक गई है।

इसकी जगह अब एचडीएफसी बैंक दूसरे स्थान पर आ गया है।

 

2. इन्फोसिस –

देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 52,697.93 करोड़ रुपये घटकर 7,01,002.22 करोड़ रुपये रह गया।

आईटी सेक्टर में जारी सुस्ती की वजह से कंपनी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

 

3. भारती एयरटेल –

एयरटेल की बाजार हैसियत 39,230.1 करोड़ रुपये घटकर 8,94,993.67 करोड़ रुपये रह गई।

टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ने और वैश्विक बाजारों में कमजोर संकेतों के कारण एयरटेल के शेयरों में दबाव बना रहा।

4. रिलायंस इंडस्ट्रीज –

देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मूल्यांकन 38,025.97 करोड़ रुपये घटकर 16,23,343.45 करोड़ रुपये रह गया।

यह गिरावट कंपनी के रिटेल और टेलीकॉम कारोबार में निवेशकों की घटती रुचि और बाजार में बिकवाली के दबाव के कारण आई।

 

शेयर बाजार में गिरावट के मुख्य कारण

भारतीय शेयर बाजार में इस गिरावट के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण जिम्मेदार हैं।

1. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता

हाल ही में अमेरिका और यूरोप के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा।

अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत ने वैश्विक निवेशकों में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजारों से भारी मात्रा में पैसा निकाला, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ गया।

2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली

बीते कुछ हफ्तों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से अरबों डॉलर निकाले।

इस बिकवाली की वजह से बाजार में भारी गिरावट आई और सेंसेक्स-निफ्टी लगातार दबाव में रहे।

3. आईटी और बैंकिंग सेक्टर में कमजोरी

आईटी कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगा गया।

बैंकिंग सेक्टर में भी दबाव देखा गया, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयरों में गिरावट आई।

4. भारतीय रुपये में कमजोरी

भारतीय रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार में निवेश महंगा हो गया है।

रुपये में गिरावट का सीधा असर विदेशी निवेश पर पड़ता है, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी रहती है।

निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?

शेयर बाजार में गिरावट एक आम प्रक्रिया है, लेकिन निवेशकों को घबराने की बजाय एक ठोस रणनीति अपनाने की जरूरत होती है।

1. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर फोकस करें

बाजार में उतार-चढ़ाव हमेशा रहेगा, लेकिन जो निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, उन्हें फायदा मिलता है।

मजबूत और फंडामेंटली अच्छी कंपनियों में निवेश बनाए रखना बेहतर होता है।

2. गिरावट में अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदें

जब बाजार में गिरावट आती है, तो कई मजबूत कंपनियों के शेयर सस्ते हो जाते हैं।

निवेशकों को इस मौके का फायदा उठाते हुए ब्लू-चिप कंपनियों के स्टॉक्स खरीदने चाहिए।

3. स्टॉप-लॉस का सही इस्तेमाल करें

शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को स्टॉप-लॉस का सही उपयोग करना चाहिए ताकि बड़े नुकसान से बचा जा सके।

तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) की मदद से सही एंट्री और एग्जिट प्वाइंट तय करना चाहिए।

4. विविधता (Diversification) पर ध्यान दें

सिर्फ एक सेक्टर में निवेश करने की बजाय, विभिन्न सेक्टर्स में निवेश करने से जोखिम कम किया जा सकता है।

आईटी, फार्मा, एफएमसीजी और मेटल सेक्टर में निवेश को संतुलित करना चाहिए।

5. भावनाओं में बहकर फैसले न लें

बाजार में गिरावट के दौरान घबराहट में आकर शेयर बेचने की गलती न करें।

अगर निवेश का नजरिया लंबी अवधि का है, तो धैर्य बनाए रखें।

आगे का अनुमान: क्या बाजार में और गिरावट आएगी?

बाजार की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अभी और करेक्शन (Correction) हो सकता है, जबकि कुछ विशेषज्ञ इसे निवेश का अच्छा मौका मान रहे हैं।

संभावित परिदृश्य:

अगर वैश्विक बाजारों में सुधार होता है, तो भारतीय शेयर बाजार में भी रिकवरी देखने को मिलेगी।

फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर फैसला भारतीय बाजार के लिए अहम साबित होगा।

अगर भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर आते हैं, तो बाजार में तेजी लौट सकती है।

निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार में आई हालिया गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है, लेकिन यह लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए एक मौका भी हो सकता है। बाजार में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कमजोर तिमाही नतीजे और रुपये में गिरावट है।

हालांकि, जो निवेशक बाजार में धैर्य और समझदारी के साथ निवेश करते हैं, वे इस गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। सही रणनीति अपनाकर, विविधता बनाए रखते हुए और लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट पर फोकस करके, निवेशक इस बाजार अस्थिरता से मुनाफा कमा सकते हैं।

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